अहमदाबाद | कैप्टन सभरवाल की आखिरी उड़ान: ड्रीमलाइनर बना डेथलाइनर

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

अहमदाबाद के नीले आसमान ने आज जो मंज़र देखा, वो किसी बुरे सपने से कम नहीं था। एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, जो बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान से लंदन के लिए रवाना हुई थी, टेकऑफ के कुछ ही मिनटों में अहमदाबाद के मेघानी नगर इलाके में क्रैश हो गई।

विमान में मौजूद 242 यात्रियों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इस हादसे ने भारत के विमानन इतिहास को एक बार फिर खून से लिख दिया।

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कैप्टन सभरवाल: जिनके कंधों पर उड़ानों की जिम्मेदारी थी

8,200 घंटे की उड़ान का अनुभव रखने वाले कैप्टन सुमित सभरवाल सिर्फ पायलट नहीं, बल्कि लाइन ट्रेनिंग कैप्टन (LTC) थे। उन्हें दूसरों को उड़ाना सिखाने का दायित्व सौंपा गया था, लेकिन इस बार वो खुद भी उस प्रणाली का शिकार बन गए, जिसे वो संभालते आए थे।

को-पायलट क्लाइव कुंदर, जिनके पास लगभग 1,100 घंटे का अनुभव था, उनके लिए यह उड़ान करियर की नहीं, जिंदगी की आखिरी उड़ान बन गई।

“Mayday” — वो शब्द जिसने कंपा दी कंट्रोल रूम की सांसें

टेकऑफ के महज दो मिनट बाद जब कॉकपिट से ‘Mayday’ कॉल आया, तो एटीसी (Air Traffic Control) के अधिकारी समझ गए कि कोई बड़ा संकट है। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

जब ड्रीमलाइनर बना ‘डूमलाइनर’

बोइंग 787 ड्रीमलाइनर, जिसकी कीमत ₹2,000 करोड़ बताई जाती है, वो सपनों का जहाज आज कैसे ‘मौत का सामान’ बन गया — यह सवाल हर किसी के दिल में उठ रहा है।

विमान में पूरी टंकी ईंधन से लोडेड थी, क्योंकि यह एक लंबी उड़ान थी। शुरुआती जांच में इंजन फेलियर और बर्ड हिट की आशंका जताई जा रही है।

“इंसानी चीखें, जलते घर और राख में बदलते सपने”

जहां यह विमान गिरा — मेघानी नगर, वहां अब सिर्फ खामोशी और चीखों की गूंज बची है। जले हुए घर, बच्चों की किताबें, अधजली चूड़ियाँ और बिजली के लटके तार इस तबाही की खामोश गवाही दे रहे हैं।

क्या तकनीक भी फेल हो सकती है?

जब इतने अनुभवी पायलट और आधुनिक विमान के बावजूद ऐसी दुर्घटना हो जाए तो सिस्टम पर सवाल उठना लाज़मी है। DGCA और अमेरिकी एजेंसी NTSB ने इस हादसे की जांच शुरू कर दी है।

बोइंग पर फिर उठे सवाल

बोइंग कंपनी की तकनीक पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं, खासकर 737 MAX हादसों के बाद। अब जब ड्रीमलाइनर जैसे “प्रीमियम” विमान का क्रैश हुआ है, बोइंग को एक और बड़े भरोसे के संकट का सामना करना पड़ सकता है।

242 में से 1 ज़िंदा बचा — आकाश वत्स

इस हादसे का एकमात्र जीवित व्यक्ति आकाश वत्स है, जो चमत्कारी ढंग से बच गया। उसकी कहानी इस त्रासदी के बीच एकमात्र उम्मीद की लौ बन गई है।

एक सवाल जो अब हर किसी के ज़हन में है…

“क्या हम आसमान में वाकई सुरक्षित हैं?”

जब हजारों करोड़ की तकनीक, अनुभवी क्रू और सुरक्षा चेकिंग के बाद भी इतना बड़ा हादसा हो सकता है, तो क्या हमारे देश की एविएशन सुरक्षा वाकई भरोसेमंद है?

जनता का गुस्सा और सरकार की जिम्मेदारी

सरकार ने हादसे की जांच के आदेश तो दे दिए हैं, लेकिन देश की जनता अब सिर्फ आश्वासन नहीं चाहती — जवाब और सुधार चाहती है।

सिर्फ एक विमान नहीं गिरा, भरोसा गिरा है

यह हादसा सिर्फ तकनीकी नहीं, मानवीय और नीतिगत चूक का भी परिणाम हो सकता है। यह एक चेतावनी है — कि ‘ड्रीमलाइनर’ तभी तक ड्रीम है, जब तक वो सुरक्षित उड़ता रहे।

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